Budget Ki Paathshala: कैसा होगा आपका बजट? किन सेक्टर्स पर रहेगा फोकस, टैक्स पर मिलेगी छूट? अनिल सिंघवी से जानें सबकुछ
Budget Ki Paathshala: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करने वाली हैं. Zee Business के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी (Anil Singhvi) और वरिंदर बंसल से समझते हैं कि बजट में किन बातों पर फोकस रहने वाला है.
Budget Ki Paathshala: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को बजट पेश करने वाली हैं. हर साल बजट (Budget 2023) पेश होने के पहले लोगों में उत्साह होता है कि आखिर इस Budget में क्या आने वाला है. वित्त मंत्री बजट कैसे बनाएंगी, बजट की थीम क्या होगी, फोकस ग्रोथ पर होगा, टैक्स और बढ़ाएंगी, बजट में कौन से सेक्टर्स सुर्खियों में होंगे और बजट में क्या कुछ बदलने वाला है. इसके साथ ही यह भी कि कौन से आंकड़ें हैं अहम और किसे कैसे पढ़ा जाए. आइए इन सभी सवालों के जवाब पाते हैं Zee Business के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी (Anil Singhvi) और वरिंदर बंसल के साथ.
क्या होगी बजट की थीम
बजट पर हम बार बात करते हैं कि राजकोषीय घाटा कितना होगा? आपने देखा होगा कि पिछले 10 साल में कभी 3 फीसदी, 4 फीसदी या 4.5 फीसदी रहता है. भारत में कमाई करीब 25 लाख करोड़ रुपये है जबकि खर्च 40 लाख करोड़ रुपये है. पिछले 10 साल में आपको यही ट्रेंड देखने को मिलेगा. ऐसे में भारत का Fiscal Deficit है, वो करीब 15 लाख करोड़ रुपये है. सरकार यह समझ चुकी है कि कभी सब्सिडी बढ़ जाती है, कभी राज्य ज्यादा मांग लेते हैं, लोग टैक्स कम करने की मांग करते हैं, इंफ्रा पर भी करना है. तो खर्चे कम नहीं होते हैं. इसलिए पिछले 10 साल में सरकार समझ चुकी है कि इनकम को बढ़ाना है. अगर आप 2004 से लेकर 2012 तक देखें तो देश का Debt बढ़ गया था. यह करीब 15 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका था. पिछले 10 साल में सरकार ने 10-12 लाख करोड़ रुपये का कर्ज कम किया है. 10 साल पहले तक क्रेडिट ग्रोथ निगेटिव में था, जिसे ठीक करने में 10 साल का समय लगा.
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सरकार ने इसके लिए बीते कुछ समय में कई सारे स्टेप्स उठाए हैं. 2016 में रेरा, जिसके बाद नोटबंदी और GST आई. इसके बाद कॉरपोरेट रेट में छूट मिली, PLI स्कीम्स और लेबर कोड आया, इंश्योरेंस और डिफेंस में FDI को बढ़ाया गया. माइनिंग और टेलिकॉम रिफॉर्म्स भी आए. सरकार ने ये सारे कदम GDP को सपोर्ट करने के लिए किया. सरकार ने तय कर लिया है कि इसके लिए टैक्स बेस बढ़ाना होगा. सरकार ने कई सारे टैक्स रिफॉर्म्स लाकर देश में टैक्सपेयर्स की संख्या में भारी इजाफा किया है. देश में पहले के 3 फीसदी के मुकाबले बढ़कर 4.5 फीसदी हो गई है. जिसके चलते सरकार के पास बहु पैसा आया है.
सरकार की आय का 95 फीसदी हिस्सा टैक्स से आता है. ऐसे में सरकार पूरी तरह से इस बात की कोशिश कर रही है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को टैक्स के दायरे में लाना है. इसके लिए Aadhaar, UPI और बैंक लिंक करने जैसे स्टेप्स लिए गए हैं. अभी सरकार के पास हमारी कमाई और खर्च का पूरा ब्यौरा है. इसके साथ ही सरकार लगातार बाहर के निवेशकों को भारत में पैसा लगाने को प्रोत्साहित कर रही है. ऐसे में सरकार इस बजट में टैक्स बढ़ाने के बारे में तो नहीं सोच रही होगी. इसलिए सरकार का पूरा फोकस ग्रोथ बढ़ाने पर होने वाला है.
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही बता चुकी हैं कि इस बजट का पूरा फोकस अगले 25 साल का रोडमैप तैयार करने पर होगा. इस बजट में सरकार का ध्यान मैन्यूफैक्चरिंग पर इंसेटिंव देना, कैपिटल स्पेंडिंग बढ़ेगी, फिजिकल कंसोलिडेशन पर ध्यान होगा और टैक्स पर भी राहत मिल सकती है.
LTCG पर मिलेगी राहत?
भारत हमेशा से एक एग्री बेस्ड सर्विस इकोनॉमी रहा है. GDP में मैन्यूफैक्चरिंग का 15 फीसदी हिस्सा है, जो काफी लंबे समय से रहा है. ऐसे में सरकार इन सभी सेक्टर्स को बढ़ाने पर ध्यान देगी. भारत को अगर अगले 10 साल में अगर 7-8 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनना है, तो सरकार को उन सेक्टर्स पर ध्यान देना होगा, जो इसे बड़ा करेंगे.
कैपिटल गेन की बात करें तो सरकार ने सोचा था कि 24 लाख करोड़ रुपये तक के इनकम की उम्मीद थी, जबकि सरकार की ग्रॉस इनकम 3.25 लाख करोड़ रुपये अधिक थी. जिसमें सबसे अधिक हिस्सेदारी पर्सनल टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स और GST का है. आज के समय में LTCG और STCG को मिलाकर सरकार को 25 हजार करोड़ रुपये की कमाई होती है. अगर सरकार इसमें छेड़छाड़ करती भी है, तो 5-10 हजार करोड़ रुपये से अधिक का मुनाफा नहीं होगा. लेकिन इसके लिए आप किसी ऐसे सेक्टर का मोमेंटम नहीं बिगाड़ना चाहेंगे, जो आपको 3 लाख करोड़ रुपये अधिक कमा के देता हो. ऐसे में कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव होने की उम्मीद कम है.
कमाई, खर्च और राजकोषीय घाटे पर क्या है मूड
वरिंदर बंसल ने कहा कि वित्त मंत्री को बजट में अगले साल के लिए 27 लाख करोड़ रुपये कमाई, 45 लाख करोड़ रुपये और राजकोषीय घाटा 17.5 लाख करोड़ रुपये के आस-पास रखा जा सकता है.
किन सेक्टर्स पर रहेगा फोकस
बंसल ने कहा कि अगर टैक्स से जुड़े मामलों में कोई बदलाव न हो तो बाजार को फायदा होगा. बैंक, रेलवे, डिफेंस. इंफ्रा जैसे सेक्टर्स में अगर सरकार अपनी स्पेंडिंग बढ़ाती है, तो लोग इससे जुड़े शेयर्स पर जुटेंगे.
10:29 PM IST